"इंतजार
उम्र का तकाजा भूल गई
खुद मे जिंदा होने का
एहसास भूल गई..
जो चले गये....
वो परिंदे थे..
फिर से कभी दिखाई न दीये..
वक्त समय अजनबी कर जाते है..
पर दिलो पर....अक्सर...
असर कर जाते है..
दो पल की जिंदगी...
ठहेरी कहां...
हर कीसी को खो कर
आगे चल दीये......
जो आगे जा कर..
उन्हे भी कहीं एक दीन खुद को खोना है..
©ganesh suryavanshi