आपने मूरख का सम्मान बढ़ाया, एक दिन मूरख दिवस मनाया
आप तो ३६४ दिन ऐसे काम करते हैं, एक दिन हमारा भी तो आया
आखिर मूरख है कौन,?समझ न अब तक आया
यकीन मानिए, मैं सारी दुनिया में ढूंढ आया
सभी से आमने सामने बैठ कर पूछ आया
सबने एक ही जवाब दिया,हम तो मूरख नहीं
आपने मूरख दिवस मनाया,तो आप ही बताइए?
ये मूरख आखिर कहां से आया, कहीं वो आप ही तो नहीं?
आप यकीन मानिए,उनने भी मना कर दिया
सबाल जस का तस रह गया
आखिर में कबीर दास जी का कथन याद आया
मुझसे बड़ा न कोय, मैं थोड़ा सकपकाया
खुद के अंदर ही, सबसे बड़ा मूरख पाया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
©Suresh Kumar Chaturvedi