कुछ सोच कर पग बढ़ाया तो चल दी साथ मेरे,
बढ़े जब अंधेरे की ओर तो छोड़ दिये हाथ मेरे।
साथ है इसका मेरे जीवन की हर पहल से,
मैं भी दे रहा साथ उसका समझ बात यार मेरे।।
कुछ सोचकर एक पग बढ़ाया तो चल दी साथ मेरे,
बढ़े जब अंधेरे की ओर तो छोड़ दिये हाथ मेरे।
साथ है इसका मेरे जीवन की हर पहल से,
मैं भी दे रहा हूँ साथ उसका समझ बात यार मेरे।। 👥
परछाईं