वो सुरमई बादलों का घिरना,
वो जोरों से चलते पवन,
वो मुसलाधार बारिश,
देख झूम उठता था मयूरा मन।।
बैठे खिड़कियों के पास,
घंटों तकते रहना,
आनंदित रोमांचित होना,
पानी की बूंदों से वो बूलबूले बनते
और फिर उसे मिटते देखना,
वो बारिश की दिनों की यादें,
सच मे आज भी रोमांचित कर जाता है,
अब वैसी बारिश कहा रहीं,
न लौट आने वाला है वो पल,
वो बारिश के बाद कागज की नाव,
वो, फूस की पतवार और चिंटी का नाविक,
क्या खूब थे वोभी बरसात के दिन।।
©Sudha Pandey
#titliyan बारिश