भजन / वंदना: स्वाभिमान / राम रखना नित मेरा ध्यान
मन में भरे रखना स्वाभिमान,
रखु ह्रदय में राम तेरा नाम,
मन ना भटके राग द्वेष में,
राम रखना नित मेरा ध्यान !
तज करके सारे अभिमान,
धीरज धर करूँ सारे काम,
खबरों से मन ना भरमायें,
राम रखना नित मेरा ध्यान!
धर्म कर्म का देना पुण्य परिणाम,
जोड़ हाथ करूँ तुझे नित प्रणाम,
माया काया को ना भटकायें,
राम रखना नित मेरा ध्यान!
भक्ति करूँ मै सुबह और शाम,
ईर्ष्या ग्लानि का ना हो काम,
कर्म मेरे कभी ना पछतायें,
राम रखना नित मेरा ध्यान!
कवि आनंद दाधीच, भारत
©Anand Dadhich
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