White रंग-ओ-रस की हवस और बस मसअला दस्तरस और बस | हिंदी शायरी

"White रंग-ओ-रस की हवस और बस मसअला दस्तरस और बस यूँ बुनी हैं रगें जिस्म की एक नस टस से मस और बस सब तमाशा-ए-कुन ख़त्म शुद कह दिया उस ने बस और बस क्या है माबैन-ए-सय्याद-ओ-सैद एक चाक-ए-क़फ़स और बस उस मुसव्विर का हर शाहकार साठ पैंसठ बरस और बस ©꧁;༆sajandeep Muste-e-khaak༆;꧂"

 White रंग-ओ-रस की हवस और बस 
मसअला दस्तरस और बस 

यूँ बुनी हैं रगें जिस्म की 
एक नस टस से मस और बस 

सब तमाशा-ए-कुन ख़त्म शुद 
कह दिया उस ने बस और बस 

क्या है माबैन-ए-सय्याद-ओ-सैद 
एक चाक-ए-क़फ़स और बस 

उस मुसव्विर का हर शाहकार 
साठ पैंसठ बरस और बस

©꧁;༆sajandeep Muste-e-khaak༆;꧂

White रंग-ओ-रस की हवस और बस मसअला दस्तरस और बस यूँ बुनी हैं रगें जिस्म की एक नस टस से मस और बस सब तमाशा-ए-कुन ख़त्म शुद कह दिया उस ने बस और बस क्या है माबैन-ए-सय्याद-ओ-सैद एक चाक-ए-क़फ़स और बस उस मुसव्विर का हर शाहकार साठ पैंसठ बरस और बस ©꧁;༆sajandeep Muste-e-khaak༆;꧂

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