White रंग-ओ-रस की हवस और बस
मसअला दस्तरस और बस
यूँ बुनी हैं रगें जिस्म की
एक नस टस से मस और बस
सब तमाशा-ए-कुन ख़त्म शुद
कह दिया उस ने बस और बस
क्या है माबैन-ए-सय्याद-ओ-सैद
एक चाक-ए-क़फ़स और बस
उस मुसव्विर का हर शाहकार
साठ पैंसठ बरस और बस
©꧁;༆sajandeep Muste-e-khaak༆;꧂
#Sad_shayri