मुझे उलझा रहने दें मेरे प्रश्न के साथ ..
सुलझा दिया गर तुने तो दिख जाएंगी मुझे मेरी औकात
रोज रोज रोने में क्या मजा आता है तुमको कुछ खास मौकों
वो आने दे हम भी करेंगे खुलकर बरसात .
निंदे उड़ा कर रातों कि शायरी बना रहे हैं
क्या खूब बना रहे हैं हम अपनी जींदगी का मजाक
अजीब बात है बिमार नहीं हु मै फिर भी हर दिन रहती है
थोड़ी मेरी तबियत उदास
ये दिल किसी का अब तलबगार नहीं होता मुझे अब किसी से प्यार नहीं होता
सुकुन मिलता है अकेले वक्त बिताने मे नजदिक किसी के रहकर भी वफ़ा ए खूशबु बरकरार नहीं होता
दिल भरता है पर चेहरे से जाहिर नहीं होता इस मुकाम पर हु मै किसी का दर्द मुझे सुनाई नहीं देता
वो डरते हैं लोग मेरे करीब आने से हर किसी को पता है शायद मेरे हिज़्र कि बात ..
गर करना है तुझे तो आज ही कर दें मेरे तमाम गुनाहों का एक दिन में हिसाब ..
क्या पता इसके बाद जींदा रहु या ना रहु ...
मौत भी मुझे तब आएगी मेरे मर जाने के बाद
©ankita singh
#humantouch