मदद करना सीखिए फायदे के बगैर, मिलना झुलना सीखिए मत | हिंदी कविता

"मदद करना सीखिए फायदे के बगैर, मिलना झुलना सीखिए मतलब के बगैर। मदद की कोई कीमत नहीं होती, जब दिल से दिल जुड़ा हो, नफरत के बगैर। मिलना हो तो बस सच्चे इरादे से, ताकि कभी टूटे नहीं, बिना कारण के बगैर। हर राह में, हर मोड़ पे बस इंसानियत ही सही है, दिखावे के बगैर। जो करना हो, दिल से करो, फायदा और मतलब से ऊपर उठकर, बिना डर के बगैर। इस दुनिया में अगर कोई सच्चाई है, तो वो है - "मदद और प्यार", बिना किसी स्वार्थ के बगैर। ©Writer Mamta Ambedkar"

 मदद करना सीखिए फायदे के बगैर,
मिलना झुलना सीखिए मतलब के बगैर।


मदद की कोई कीमत नहीं होती,
जब दिल से दिल जुड़ा हो, नफरत के बगैर।

मिलना हो तो बस सच्चे इरादे से,
ताकि कभी टूटे नहीं, बिना कारण के बगैर।

हर राह में, हर मोड़ पे बस 
इंसानियत ही सही है, दिखावे के बगैर।

जो करना हो, दिल से करो,
फायदा और मतलब से 
ऊपर उठकर, बिना डर के बगैर।

इस दुनिया में अगर कोई सच्चाई है,
तो वो है - "मदद और प्यार", 
बिना किसी स्वार्थ के बगैर।

©Writer Mamta Ambedkar

मदद करना सीखिए फायदे के बगैर, मिलना झुलना सीखिए मतलब के बगैर। मदद की कोई कीमत नहीं होती, जब दिल से दिल जुड़ा हो, नफरत के बगैर। मिलना हो तो बस सच्चे इरादे से, ताकि कभी टूटे नहीं, बिना कारण के बगैर। हर राह में, हर मोड़ पे बस इंसानियत ही सही है, दिखावे के बगैर। जो करना हो, दिल से करो, फायदा और मतलब से ऊपर उठकर, बिना डर के बगैर। इस दुनिया में अगर कोई सच्चाई है, तो वो है - "मदद और प्यार", बिना किसी स्वार्थ के बगैर। ©Writer Mamta Ambedkar

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