विषय-सारा आकाश
ग़ुरबत में हैं हम
पर जीतें हैं बिंदास
तन कोयले सा जलता
मन में न लगे प्यास
खून पसीने सा बहता
जिंदगी महल है ताश।
दो रोटी की आस में
चलती रहती है सांस।
किसी बात का न गुमां
न रहना सीखा निराश।
जब सारी धरा हमारी
और हमारा सारा आकाश।
©अलका मिश्रा
©alka mishra
#nightsky