वीरान मोहब्बत का आसमान है
चांद तन्हा तारों की भीड़ में
तारे टूटकर रिहा हो भी जाते है
अपने मुकद्दर से
मगर चांद का ग़म में टूटना भी
उसके किस्मत में नहीं है
अंधेरा भी गहरा है, निगलता दर रोज़ है
चांद का चांद होना भी यूं आसान नहीं है....
©Swati kashyap
#चांद