हम ख़ारज़ार पर सोते हैं ज़मीन पर अपनी पैर गवां कर क | हिंदी Poetry Video

"हम ख़ारज़ार पर सोते हैं ज़मीन पर अपनी पैर गवां कर कुल्हाड़ियाँ हम बोते हैं हम ख़ारज़ार पर सोते हैं रखते हैं हिसाब हर नफ़े-नुक्सान का फिर भी क़र्ज़ में होते हैं हम ख़ारज़ार पर सोते हैं हमसे बंधवा लो तुम रस्सी की मज़बूत गांठे लगवा के देख लो खंजरों में धार या फिर धकेलो सोच जितनी ऊँची इमारत से हमें हम साँसे मौत से लेते हैं फ़िर समंदर में डूब कर रोते हैं हम ख़ारज़ार पर सोते हैं ©Vaishnavi "

हम ख़ारज़ार पर सोते हैं ज़मीन पर अपनी पैर गवां कर कुल्हाड़ियाँ हम बोते हैं हम ख़ारज़ार पर सोते हैं रखते हैं हिसाब हर नफ़े-नुक्सान का फिर भी क़र्ज़ में होते हैं हम ख़ारज़ार पर सोते हैं हमसे बंधवा लो तुम रस्सी की मज़बूत गांठे लगवा के देख लो खंजरों में धार या फिर धकेलो सोच जितनी ऊँची इमारत से हमें हम साँसे मौत से लेते हैं फ़िर समंदर में डूब कर रोते हैं हम ख़ारज़ार पर सोते हैं ©Vaishnavi

Kharzaar=Kaanton bhari jagah
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