Unsplash खुशियां तकिया के सिरहाने होंगी ,
आशीर्वाद के ईटों से सजी दीवारें होंगी
खिड़कियों में धूप सजती होगी,
घर में बुजुर्गों की दुआ बस्ती होगी।
अब दूर कहीं नहीं चलना होगा ,
एक सिर पर छत अपना होगा।
हम खुशियां सारी बटोर लाएगे,
हम घर में अपने सपने सजाएंगे।
हम घर में रोज दीप जलाएंगे ,
घर आंगन में चांद तारे उतार लाएगे।
अब चेहरे में एक आराम होगा ,
मेरे घर के दरवाजे में अब अपना नाम होगा।
हा अपना नाम होगा।
✍️ नीरज नील
©Neeraj Neel
poem