हे! प्रभु सबके सिर पर , मां की छत्र छाया बनाए रखना | हिंदी कविता

"हे! प्रभु सबके सिर पर , मां की छत्र छाया बनाए रखना । ना चाहूं दुनिया की दौलत,बस मां का साथ बनाए रखना । दूर रह कर तुझसे हे! मां, मुझे तेरी याद पल पल सताती है , कुछ भी कर लूं हे! मां, आंखों से तेरी तस्वीर नहीं जाती है। जीवन रूपी इस नाटक में,मां का पात्र बड़ा खास होता , जिनके पास मां नहीं होती,उन्हें इसका अहसास होता है। वह मां ही है जो जग में, पहला प्यार कहलाती है, यह अटूट सत्य है कि, मां जीवन जीना सिखाती है। ©Pradeep Sharma"

 हे! प्रभु सबके सिर पर , मां की छत्र छाया बनाए रखना ।

ना चाहूं दुनिया की दौलत,बस मां का साथ बनाए रखना ।

दूर रह कर तुझसे हे! मां, मुझे तेरी याद पल पल सताती है ,

कुछ भी कर लूं हे! मां, आंखों से तेरी तस्वीर नहीं जाती है।

जीवन रूपी इस नाटक में,मां का पात्र बड़ा खास होता ,

जिनके पास मां नहीं होती,उन्हें इसका अहसास होता है।

वह मां ही है जो जग में, पहला प्यार कहलाती है,

यह अटूट सत्य है कि, मां जीवन जीना सिखाती है।

©Pradeep Sharma

हे! प्रभु सबके सिर पर , मां की छत्र छाया बनाए रखना । ना चाहूं दुनिया की दौलत,बस मां का साथ बनाए रखना । दूर रह कर तुझसे हे! मां, मुझे तेरी याद पल पल सताती है , कुछ भी कर लूं हे! मां, आंखों से तेरी तस्वीर नहीं जाती है। जीवन रूपी इस नाटक में,मां का पात्र बड़ा खास होता , जिनके पास मां नहीं होती,उन्हें इसका अहसास होता है। वह मां ही है जो जग में, पहला प्यार कहलाती है, यह अटूट सत्य है कि, मां जीवन जीना सिखाती है। ©Pradeep Sharma

#MothersDay
#pradeepsharma_ujjwalkavi

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