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कहाँ बच पाई है अब ये वफ़ा भी
शिकायत कर रहे है बेवफा भी
छलकते अश्क भी अब कह रहे है
न हमको रास आई वो दुआ भी
चिरागो से जला ना आशियाँ ये
बनी दुश्मन मेरी अब ये हवा भी
कदम तेरे चूमेंगी खुशियाँ सब
चलेगी साथ तेरे ये दुआ भी
न भूलेंगे कभी ज़ुल्मो सितम ये
रहेगी याद हमको ये सजा भी
नमी पलकों पे जो दिखने लगी है
लिया इल्जाम सर पर बेवफा भी
लगी है बुनने रिश्ते ज़िन्दगी अब
किसी को छू सकी ना बद्दुआ भी
देखा जो तुम्हे लत तेरी लगी है
ले डूबी है हमें तेरी अदा भी
( लक्ष्मण दावानी )
29/11/2016
©laxman dawani
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