जी बिल्कुल आज़ादी है,
ऐसी आज़ादी सबको मिले,
व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की
आज़ादी हो, मांस खाने की आज़ादी हो,
वैश्यालय जाने और खोलने की आज़ादी हो .
हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो
हमें औरतो से क्या समस्या है??
लड़को को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाली कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगी की क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो की प्रदर्शन बेशर्मी से करे???
क्या ये लड़कियां पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से देखती है ???
जब ये खुद पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती है की
"हमें माँ/बहन की नज़रों से देखो"
कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे
नंगी होती है???
भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था....
सत्य ये है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता।
ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधो की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है।।
और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करती है।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशो में
एक नशा अश्लीलता भी है।
चाणक्य ने चाणक्य सूत्र में सेक्स को सबसे बड़ा
नशा और बीमारी बताया है।।
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अगर ये नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो
फिर पूरा नग्न होकर स्त्रीयां अत्याधुनिकता का
परिचय क्यों नहीं देती????
गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है
उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को
जन्म देती है।।
©sabr
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