White अभी मिट्टी से जुदा हुआ नहीं हूँ,
थका हूँ पर कहीं रुका नहीं हूँ।
गिराया वक्त ने, संभलता गया मैं,
हारा जरूर हूँ, मगर झुका नहीं हूँ।
तेरी राहों का राही बनूं कैसे,
मैं कारवां हूँ, मगर रास्ता नहीं हूँ।
बिखरने की सज़ा वक्त ने दी है,
मगर ख़ुद में मैं अब तक मिटा नहीं हूँ।
पिता का अक्स हूँ, पहचान यही है,
पर अब तक खुद को तराशा नहीं हूँ।
मंजिल मेरी भी होगी एक दिन,
सफ़र में हूँ, पर अभी ठहरा नहीं हूँ।
भूखा हूँ पर गैर का लूटूं ये मुमकिन नहीं,
मैं मेहनत का हूँ, सौदा सस्ता नहीं हूँ।
तुम संग हूँ, पर दिल से दूर हूँ शायद,
खुद का भी हूँ, तेरा भी पूरा नहीं हूँ।
अशोक वर्मा "हमदर्द "
©Ashok Verma "Hamdard"
मिट्टी से जुड़ा हुआ हूं मैं