लगातार बढ़ रहे हैं देशभर में बलात्कार ! पांच से पच | हिंदी कविता

"लगातार बढ़ रहे हैं देशभर में बलात्कार ! पांच से पचासी साल तक हो रहे इसके शिकार !! संसार से बिदा हो गये सारे संस्कार ! पाश्चात्य अनुकरण से उजड़ रहे घर परिवार !! हर बुरी आदतों में देश को धकेला जा रहा ! जुए के विज्ञापनों में हर नामचीन नजर आ रहा !! दारू गुटका छोड़, ड्रग्स प्रचलन पांव पसार रहा ! सीधे जुए से बचे हुओं को क्रिकेट सट्टे में लाया जा रहा !! एटीएम लूटे जा रहे, वाहन तोड़े जा रहे ! बेरोजगारी के परिणाम उभर के आ रहे !! खून कच्ची उमर वालों से करा रहे ! तरुणाई के सहारे 3 साल जुवेनाइल में गुजरवा रहे !! छुड़ाने के बाद अपराध जगत में पैर जमा रहे ! काले कारनामों से जल्द से सफ़ेद पोश नेता बन जा रहे !! इसी चक्रव्यूह में फंस आज़ादी कसमसा रही ! जनता गुलामी से बदतर जीवन को मजबूर नजर आ रही !! युवाओं से उम्मीदों पर मोबाइल पानी फ़ेर रहा ! सड़कों पर भी युवा मोबाइल ही देख रहा !! आगे पीछे देखने भर को नहीं राजी ! रूह तक लहू-लुहान बलिदानी जिन्होंने अनमोल जान लगादी !! आवेश हिंदुस्तानी 29.09.2024 ©Ashok Mangal"

 लगातार बढ़ रहे हैं देशभर में बलात्कार !
पांच से पचासी साल तक हो रहे इसके शिकार !!

संसार से बिदा हो गये सारे संस्कार !
पाश्चात्य अनुकरण से उजड़ रहे घर परिवार !!

हर बुरी आदतों में देश को धकेला जा रहा !
जुए के विज्ञापनों में हर नामचीन नजर आ रहा !!

दारू गुटका छोड़, ड्रग्स प्रचलन पांव पसार रहा !
सीधे जुए से बचे हुओं को क्रिकेट सट्टे में लाया जा रहा !!

एटीएम लूटे जा रहे, वाहन तोड़े जा रहे !
बेरोजगारी के परिणाम उभर के आ रहे !!

खून कच्ची उमर वालों से करा रहे !
तरुणाई के सहारे 3 साल जुवेनाइल में गुजरवा रहे !!

छुड़ाने के बाद अपराध जगत में पैर जमा रहे !
काले कारनामों से जल्द से सफ़ेद पोश नेता बन जा रहे !! 

इसी चक्रव्यूह में फंस आज़ादी कसमसा रही !
जनता गुलामी से बदतर जीवन को मजबूर नजर आ रही !!

युवाओं से उम्मीदों पर मोबाइल पानी फ़ेर रहा !
सड़कों पर भी युवा मोबाइल ही देख रहा !!

आगे पीछे देखने भर को नहीं राजी !
रूह तक लहू-लुहान बलिदानी जिन्होंने अनमोल जान लगादी !!

आवेश हिंदुस्तानी 29.09.2024

©Ashok Mangal

लगातार बढ़ रहे हैं देशभर में बलात्कार ! पांच से पचासी साल तक हो रहे इसके शिकार !! संसार से बिदा हो गये सारे संस्कार ! पाश्चात्य अनुकरण से उजड़ रहे घर परिवार !! हर बुरी आदतों में देश को धकेला जा रहा ! जुए के विज्ञापनों में हर नामचीन नजर आ रहा !! दारू गुटका छोड़, ड्रग्स प्रचलन पांव पसार रहा ! सीधे जुए से बचे हुओं को क्रिकेट सट्टे में लाया जा रहा !! एटीएम लूटे जा रहे, वाहन तोड़े जा रहे ! बेरोजगारी के परिणाम उभर के आ रहे !! खून कच्ची उमर वालों से करा रहे ! तरुणाई के सहारे 3 साल जुवेनाइल में गुजरवा रहे !! छुड़ाने के बाद अपराध जगत में पैर जमा रहे ! काले कारनामों से जल्द से सफ़ेद पोश नेता बन जा रहे !! इसी चक्रव्यूह में फंस आज़ादी कसमसा रही ! जनता गुलामी से बदतर जीवन को मजबूर नजर आ रही !! युवाओं से उम्मीदों पर मोबाइल पानी फ़ेर रहा ! सड़कों पर भी युवा मोबाइल ही देख रहा !! आगे पीछे देखने भर को नहीं राजी ! रूह तक लहू-लुहान बलिदानी जिन्होंने अनमोल जान लगादी !! आवेश हिंदुस्तानी 29.09.2024 ©Ashok Mangal

#AaveshVaani #JanMannKiBaat

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