मन को जब भी होना चाहे अकेला उसे रहने दो, फिर न लगा | हिंदी शायरी Video

"मन को जब भी होना चाहे अकेला उसे रहने दो, फिर न लगाओ मेला। मन के भटकने से उसके कहीं अटकने से खड़ा हो भी सकता हैं झमेला. मन को जब भी होना चाहे अकेला उसे रहने दो, फिर न लगाओ मेला। भाये मन को सुन्दर सी महक खूबसूरती पर मन की चहक उस पर, हुस्न जवानी का खेला मन को जब भी होना चाहे अकेला उसे रहने दो, फिर न लगाओ मेला ©Kamlesh Kandpal "

मन को जब भी होना चाहे अकेला उसे रहने दो, फिर न लगाओ मेला। मन के भटकने से उसके कहीं अटकने से खड़ा हो भी सकता हैं झमेला. मन को जब भी होना चाहे अकेला उसे रहने दो, फिर न लगाओ मेला। भाये मन को सुन्दर सी महक खूबसूरती पर मन की चहक उस पर, हुस्न जवानी का खेला मन को जब भी होना चाहे अकेला उसे रहने दो, फिर न लगाओ मेला ©Kamlesh Kandpal

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