मत रोना ?
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माँ उस दिन था कौन? घूरकर ताका।
बहुत डर रही थी मै, जब उसने झाँका।।
अब मत जाना वहाँ सभी हैं गन्दे।
सबके सब दुर्बुद्धि, विशुद्ध धन्धे।।
रुक,रुक जा माँ, अब क्यूँ जाती है?
मुझपर नहीं तरस खाती है।
डर से ही मैं मर जाऊँगी
तेज चलो मत गिर जाऊँगी
यहाँ लेट आराम करोगी?
बहुत देर क्या शाम करोगी
अरे अरे माँ, तुम क्या खाई।
दम घुटता,थी कोई दवाई।।
माँ, तुझसे मै निकल रही हूँ
बचा, बचा माँ, फिसल रही हूँ
माँ निश्चय अब मर जाऊँगी
तेरी गोद नहीं आऊँगी।।
अरे, अरे माँ देख,खींचती कोई पापिनि।
आह नश्तर चुभा दिया मुझमें, हतभाग्य पिशाचिनि।।
बचा, बचा माँ बचा,अरे माँ, अब मरती
मत रोना माँ,
हम दहेज से, तुम्हें अखरती।।
लेखकः रामकिंकर शर्मा
©Ramkinkar sharma