सर्दी सूर्य देव को कोहरे ने यूँ बना लिया है बंधक | हिंदी कविता

"सर्दी सूर्य देव को कोहरे ने यूँ बना लिया है बंधक लगे काँपने जोर जोर से लग गई उनको ठंढक नहीं सूझता किधर वो जाएं चारो तरफ अंधेरा कहने को है दिन लेकिन है घने तिमिर का डेरा सोच रहें हैं आग जलाकर उनको कोई तपाए हालत उनकी देख कोई न उनकी हँसी उड़ाए उनकी किरणें जुटीं यूद्ध में विजय न होगी जबतक कोहरे का सम्राज्य रहेगा इस धरती पर तबतक बेसब्री से सारी दुनिया बेखुद करे प्रतिक्षा धूप खिलेगी सुखदायी जब होगी प्रभु की इच्छा ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 सर्दी
सूर्य देव को कोहरे ने यूँ 
बना लिया है बंधक
लगे काँपने जोर जोर से
लग गई उनको ठंढक

नहीं सूझता किधर वो जाएं
चारो तरफ अंधेरा
कहने को है दिन लेकिन है
घने तिमिर का डेरा

सोच रहें हैं आग जलाकर
उनको कोई तपाए
हालत उनकी देख कोई न
उनकी हँसी उड़ाए

उनकी किरणें जुटीं यूद्ध में
विजय न होगी जबतक
कोहरे का सम्राज्य रहेगा
इस धरती पर तबतक

बेसब्री से सारी दुनिया
बेखुद करे प्रतिक्षा
धूप खिलेगी सुखदायी जब
होगी प्रभु की इच्छा

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

सर्दी सूर्य देव को कोहरे ने यूँ बना लिया है बंधक लगे काँपने जोर जोर से लग गई उनको ठंढक नहीं सूझता किधर वो जाएं चारो तरफ अंधेरा कहने को है दिन लेकिन है घने तिमिर का डेरा सोच रहें हैं आग जलाकर उनको कोई तपाए हालत उनकी देख कोई न उनकी हँसी उड़ाए उनकी किरणें जुटीं यूद्ध में विजय न होगी जबतक कोहरे का सम्राज्य रहेगा इस धरती पर तबतक बेसब्री से सारी दुनिया बेखुद करे प्रतिक्षा धूप खिलेगी सुखदायी जब होगी प्रभु की इच्छा ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#Winter

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