कभी कभी लगता है,
माँ-बाप एक उम्र के बाद,
माँ-बाप से बढ़कर दोस्त हो पाते
तो कितना बेहतर होता
कितने दुख जो झेले नहीं जा सकते,
उन्हें कम से कम बांटा तो जा सकता...
कभी-कभी हम अपने भीतर कितना कुछ लेकर ही
इस दुनिया से चले जाते हैं,
बिन कुछ कहे
क्योंकि आसपास समझने वाले शायद हैं या नहीं भी हैं,
पर इससे भी ऊपर एक बात कि
हमें यह भरोसा ही नहीं हो पाता कि कोई समझता भी है हमको !
रिश्तों ने साथ देने से ज़्यादा घुटन ही दी है हर इंसान को !
अकेलापन "चुनाव" है, तो बेहतर है, मगर अकेलापन
ही एकमात्र विकल्प हो जाए तो चिंता का विषय है !
©K@vita KS
#FallAutumn #sadness #nojoto