Unsplash फिर क्यों??????????
हर सपना धूमिल सा होने लगा था
मानो मुझसे मेरा ही अस्तित्व अब खोने सा लगा था
उधेड़बुन ज़िंदगी की नहीं...नहीं .. मुझसे सहन हो रहा था
ना जाने मुझसे ऐसा भी क्या गुनाह हो गया था
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हर क्यों का जवाब ढूंढने निकलीं हूं अब
नए सिरे से खुद को लिखने लगी हूं अब
डर तो है अब भी कहीं डगमगा ना जाए कदम फिर मेरे
पर अपने ही डर से लड़ने चली हूं मैं l
ओस की कलम✍️
©Timsi thakur
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