कहे बिना ही , हर बात सुनती है माँ ज़िन्दगी में प्य | हिंदी कविता

"कहे बिना ही , हर बात सुनती है माँ ज़िन्दगी में प्यार के रंग बुनती है रसोई में पिघलती , प्रेम पकाती है अंत में सबसे , माँ खाना खाती है डांटती डपटती , कान खींचती है संवारती हमको , स्नेह सींचती है खुशियों में मेरी ,आंसू बहाती है रोता हूँ जब जब ,हंस चुप कराती है करती है सब कुछ, जरा भी नहीं जताती है माँ बिन थके , जीवन भर बस प्रेम लुटाती है ©yash gauttam"

 कहे बिना ही , हर बात सुनती है 
माँ ज़िन्दगी में प्यार के रंग बुनती है

रसोई में पिघलती , प्रेम पकाती है 
अंत में सबसे , माँ खाना खाती है 

डांटती डपटती , कान खींचती है 
संवारती हमको , स्नेह सींचती है 

खुशियों में मेरी ,आंसू बहाती है 
रोता हूँ जब जब ,हंस चुप कराती है 

करती है सब कुछ, जरा भी नहीं जताती है 
माँ  बिन थके , जीवन भर बस प्रेम लुटाती है

©yash gauttam

कहे बिना ही , हर बात सुनती है माँ ज़िन्दगी में प्यार के रंग बुनती है रसोई में पिघलती , प्रेम पकाती है अंत में सबसे , माँ खाना खाती है डांटती डपटती , कान खींचती है संवारती हमको , स्नेह सींचती है खुशियों में मेरी ,आंसू बहाती है रोता हूँ जब जब ,हंस चुप कराती है करती है सब कुछ, जरा भी नहीं जताती है माँ बिन थके , जीवन भर बस प्रेम लुटाती है ©yash gauttam

#Mother'SDAYSPECIAL

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