a-person-standing-on-a-beach-at-sunset बचपना है आज भी उसमें
ना जाने कब बड़ी होगी
छोटी छोटी बातों पर
ना जाने किस किस से लड़ी होगी
एक पल में रूठ जाती है
एक पल में अपना भी बनाना चाहती है
ज्यादा कुछ नहीं है चाह उसे
बस तुम्हारे साथ अपना सपना बनाना चाहती है
दिल की बेहद साफ है
प्यार भी बेशुमार करती है
कुछ नहीं है उसके अंदर
बस जुबां से खूंखार बनती है
सोचती है सब के बारे में
खयाल भी वो अपनों का रखती है
दिल नहीं लगता उसका कहीं फिर
जब वो अपनों से दूर चलती है
©Dr Yatendra Gurjar
#SunSet