कांटे मिले हैं प्यार के रस्ते में जब मुझे,  कांटो | हिंदी शायरी

"कांटे मिले हैं प्यार के रस्ते में जब मुझे,  कांटों को अपना ख़ून पिलाती चली गई। मेरा जो वक्त बदला ज़माना बदल गया, मुझ पर हवा भी ख़ाक उड़ाती चली गई। रस्ते में इम्तिहान तो आए बहुत मगर, हर इक से मैं हाथ मिलाती चली गई। ©Jharna Mukherjee"

 कांटे मिले हैं प्यार के रस्ते में जब मुझे, 

कांटों को अपना ख़ून पिलाती चली गई।


मेरा जो वक्त बदला ज़माना बदल गया,

मुझ पर हवा भी ख़ाक उड़ाती चली गई।


रस्ते में इम्तिहान तो आए बहुत मगर,

हर इक से मैं हाथ मिलाती चली गई।

©Jharna Mukherjee

कांटे मिले हैं प्यार के रस्ते में जब मुझे,  कांटों को अपना ख़ून पिलाती चली गई। मेरा जो वक्त बदला ज़माना बदल गया, मुझ पर हवा भी ख़ाक उड़ाती चली गई। रस्ते में इम्तिहान तो आए बहुत मगर, हर इक से मैं हाथ मिलाती चली गई। ©Jharna Mukherjee

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