जॉन साब को पढ़ते-पढ़ते हुए कब रात हो गई पता नहीं च | हिंदी Sad

"जॉन साब को पढ़ते-पढ़ते हुए कब रात हो गई पता नहीं चला। एक शायर ज्यादा से ज्यादा क्या लिख सकता है ? जॉन साब की शायरी में आपको सब कुछ मिलेगा जिसकी आपको तमन्ना है। कुछ एक शेर इतने गहरे कि ज़िंदगी का फ़लसफ़ा समझ में आ जाए। उन्हीं में से एक शेर:- मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं... म ©YASHVARDHAN"

 जॉन साब को पढ़ते-पढ़ते हुए कब रात हो गई पता नहीं चला। एक शायर ज्यादा से ज्यादा क्या लिख सकता है ? जॉन साब की शायरी में आपको सब कुछ मिलेगा जिसकी आपको तमन्ना है। कुछ एक शेर इतने गहरे कि ज़िंदगी का फ़लसफ़ा समझ में आ जाए। उन्हीं में से एक शेर:- 

मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं...












म

©YASHVARDHAN

जॉन साब को पढ़ते-पढ़ते हुए कब रात हो गई पता नहीं चला। एक शायर ज्यादा से ज्यादा क्या लिख सकता है ? जॉन साब की शायरी में आपको सब कुछ मिलेगा जिसकी आपको तमन्ना है। कुछ एक शेर इतने गहरे कि ज़िंदगी का फ़लसफ़ा समझ में आ जाए। उन्हीं में से एक शेर:- मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं... म ©YASHVARDHAN

बस

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