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किसी को क्या हसीनो से मिला है
मिला जिसको नसीबो से मिला है
किसे सुनाऊँ अपना हाले दिल ये
दरद सब मह जबीनों से मिला है
न देखो जख्म जो है दिल पे मेरे
मिला जो भी करीबों से मिला है
न कर बदनाम महफ़िल में मुझे
गिला तुमको रकीबों से मिला है
सलामत चाँदनी की जो चमक है
सिला वो सब अंधेरो से मिला है
सुलगते आँसु आँखों के दिखा दूँ
ये आँसु जां नशीनों से मिला है
( लक्ष्मण दावानी )
30/11/2016
©laxman dawani
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