White किसी बात का इख़्तियार मत करना। दग़ाबाज़ है ब | हिंदी Poetry

"White किसी बात का इख़्तियार मत करना। दग़ाबाज़ है बहोत ऐतबार मत करना। वो दिखाते रहेंगे सपने यूं ही हज़ार, उन सपनों को शर्मसार मत करना। फूल खिलेंगे वहीं जहॉं खिलना होगा, कॉंटों में उलझकर गुहार मत करना। तमाशा बनने में कहॉं देर लगती है, लोग हॅंसे काम सोगवार मत करना। ज़ज्बातो से ये दुनिया चलती रहेगी, ज़रूरत से ज़्यादा बौछार मत करना। जो गुज़र गई उतनी बहुत है 'मनीष' खुद को कभी कसुरवार मत करना। ©मनीष कुमार पाटीदार"

 White किसी बात का इख़्तियार मत करना।
दग़ाबाज़ है बहोत ऐतबार मत करना।

वो  दिखाते रहेंगे सपने यूं ही  हज़ार,
उन सपनों को  शर्मसार मत करना।

फूल खिलेंगे वहीं जहॉं खिलना होगा,
कॉंटों में उलझकर गुहार मत करना।

तमाशा बनने में कहॉं देर लगती है,
लोग हॅंसे काम सोगवार मत करना।

ज़ज्बातो से ये दुनिया चलती रहेगी,
ज़रूरत से ज़्यादा बौछार मत करना।

जो गुज़र गई उतनी बहुत है 'मनीष'
खुद को कभी कसुरवार मत करना।

©मनीष कुमार पाटीदार

White किसी बात का इख़्तियार मत करना। दग़ाबाज़ है बहोत ऐतबार मत करना। वो दिखाते रहेंगे सपने यूं ही हज़ार, उन सपनों को शर्मसार मत करना। फूल खिलेंगे वहीं जहॉं खिलना होगा, कॉंटों में उलझकर गुहार मत करना। तमाशा बनने में कहॉं देर लगती है, लोग हॅंसे काम सोगवार मत करना। ज़ज्बातो से ये दुनिया चलती रहेगी, ज़रूरत से ज़्यादा बौछार मत करना। जो गुज़र गई उतनी बहुत है 'मनीष' खुद को कभी कसुरवार मत करना। ©मनीष कुमार पाटीदार

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