पल्लव की डायरी
तोड़ कर पुरुषों का दम्भ
नारी को लुभाने लगे है
चंद खैरात बाँटकर
बिछात सियासी बिछाने लगे है
ना रोजगार,ना व्यापार
जनता के सितारे गर्दिश में जाने लगे है
नही चुनना मुझे ऐसी सरकारे
जो गरीबो की दाल रोटी पर भी
जी एस टी खा रहे है
इनकी नियत में हमे खोट नजर आ रहे है
कागजी योजनाओं के अलावा कुछ भी नही है
इन सबके मनसूबे हमे अच्छे नजर नही आ रहे है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#HBDKirronKher जो गरीबो की दाल रोटी पर भी जी एस टी खा रहे है
#nojotohindi