मैं मणिपुर हुं मैं मणिपुर हूं, जिसे भारत का गहना भ

"मैं मणिपुर हुं मैं मणिपुर हूं, जिसे भारत का गहना भी कहा जाता है और जिसे उत्सव की भूमि के नाम से भी जाना जाता है। पर अब कुछ महीनो से “मैं जल रहा हु"। अपने ही लोगों को आपस में लड़ता हुआ देख रहा हूं। हर रोज यहा लोग मारे जा रहे है , न जाने कितने घर जलाये जा रहे है। ऐसा मानो जैसे मनुष्यता यहां खत्म सी हो गई हो और हैवानियत अपनी चरम सीमा लांघ चुकी हो। घर बरबाद हो गए है , गांव के गांव तबाह हो रहे है। अपने हक़ की आड़ मे लड़ रहे लोग , इंसानियत को भूलते जा रहे है । कोई किसी का गला काट देता है तो कोइ किसी को जिंदा जला देता है। दरंदिगी की आड़ में तो औरतों को नंगा भी चला दिया जाता है। पूर्वोत्तर भारत की खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध मैं, अब “मणिपुर जल रहा है” जैसे शब्दों से जाना जाने लगा हूं। मेरी इस बुरी दशा की जिम्मेदारी कौन लेगा ? कब यहां हिंसक यातनाएं रूकेंगी और कौन हुए नुकसानों की भरपाई करेगा? मैं मणिपुर बोल रहा हूं। लोगो में सांप्रदायिक हिंसा को देखकर व्याकुल हो रहा हूं। हां, मैं जल रहा हूं! और मेरी स्थिति वापस कब सामान्य होगी, ये सवाल मै भारत सरकार से पूछ रहा हुं! ©Alka Jaiswal"

 मैं मणिपुर हुं
मैं मणिपुर हूं, जिसे भारत का गहना भी कहा जाता है
 और जिसे उत्सव की भूमि के नाम से भी जाना जाता है।
पर अब कुछ महीनो से “मैं जल रहा हु"।
अपने ही लोगों को आपस में लड़ता हुआ देख रहा हूं।

हर रोज यहा लोग  मारे जा रहे है ,
न जाने कितने घर जलाये जा रहे है।
ऐसा मानो जैसे मनुष्यता यहां खत्म सी हो गई हो
और हैवानियत अपनी चरम सीमा लांघ चुकी हो।

घर बरबाद हो गए है , गांव के गांव तबाह हो रहे है।
अपने हक़ की आड़ मे लड़ रहे लोग , इंसानियत को भूलते जा रहे है ।
कोई किसी का गला काट देता है तो कोइ किसी को जिंदा जला देता है।
दरंदिगी की आड़ में तो औरतों को नंगा भी चला दिया जाता है।

पूर्वोत्तर भारत की खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध मैं,
 अब “मणिपुर जल रहा है” जैसे शब्दों से जाना जाने लगा हूं।
मेरी इस बुरी दशा की जिम्मेदारी कौन लेगा ?
कब यहां हिंसक यातनाएं रूकेंगी 
और कौन हुए नुकसानों की भरपाई करेगा?

मैं मणिपुर बोल रहा हूं।
लोगो में सांप्रदायिक हिंसा को देखकर व्याकुल हो रहा हूं।
हां, मैं जल रहा हूं!
और मेरी स्थिति वापस कब सामान्य होगी,
 ये सवाल मै भारत सरकार से पूछ रहा हुं!

©Alka Jaiswal

मैं मणिपुर हुं मैं मणिपुर हूं, जिसे भारत का गहना भी कहा जाता है और जिसे उत्सव की भूमि के नाम से भी जाना जाता है। पर अब कुछ महीनो से “मैं जल रहा हु"। अपने ही लोगों को आपस में लड़ता हुआ देख रहा हूं। हर रोज यहा लोग मारे जा रहे है , न जाने कितने घर जलाये जा रहे है। ऐसा मानो जैसे मनुष्यता यहां खत्म सी हो गई हो और हैवानियत अपनी चरम सीमा लांघ चुकी हो। घर बरबाद हो गए है , गांव के गांव तबाह हो रहे है। अपने हक़ की आड़ मे लड़ रहे लोग , इंसानियत को भूलते जा रहे है । कोई किसी का गला काट देता है तो कोइ किसी को जिंदा जला देता है। दरंदिगी की आड़ में तो औरतों को नंगा भी चला दिया जाता है। पूर्वोत्तर भारत की खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध मैं, अब “मणिपुर जल रहा है” जैसे शब्दों से जाना जाने लगा हूं। मेरी इस बुरी दशा की जिम्मेदारी कौन लेगा ? कब यहां हिंसक यातनाएं रूकेंगी और कौन हुए नुकसानों की भरपाई करेगा? मैं मणिपुर बोल रहा हूं। लोगो में सांप्रदायिक हिंसा को देखकर व्याकुल हो रहा हूं। हां, मैं जल रहा हूं! और मेरी स्थिति वापस कब सामान्य होगी, ये सवाल मै भारत सरकार से पूछ रहा हुं! ©Alka Jaiswal

मैं मणिपुर बोल रहा हुं।
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