वजूद खो रहा है कमलेश , इनसान शायद छूटी कलम, गरजती | हिंदी शायरी

"वजूद खो रहा है कमलेश , इनसान शायद छूटी कलम, गरजती बंदूक यही करती है बयाँ ©Kamlesh Kandpal"

 वजूद खो रहा है कमलेश , 
इनसान शायद
छूटी कलम, गरजती बंदूक 
यही करती है बयाँ

©Kamlesh Kandpal

वजूद खो रहा है कमलेश , इनसान शायद छूटी कलम, गरजती बंदूक यही करती है बयाँ ©Kamlesh Kandpal

vjud

People who shared love close

More like this

Trending Topic