दरिया ऐसे शांत था
जैसे कोई समंदर हो
ऐसा लगता था कितने ही
दर्द समेटे अंदर हो
कोई शोर न लहरों का
न जलचरों की चंचलता
दिखता था हर ओर सुकून
कहीं नहीं थी विह्वलता
बस उसने एक पत्थर मारा
और वो दरिया जैसे रूठ गया
सदियों से धारण सब्र का था
अब शायद बांध वो टूट गया
शांत लहरों ने लिया
रूप फिर सुनामी का
ज़िंदगी कहीं न थी
हर तरफ़ ही पानी था
था गर्व न पर सदियों से
सत्ता उसी की थी
यूं लगता था जैसे वो
ये कहना चाहता हो
मत समझो कमजोरी
तुम उसके संयम को
रहने दो शांत अगर
वो रहना चाहता हो
रहने दो शांत अगर वो
रहना चाहता हो……!!!!!!
©भावों के मोती……
#duniya