White ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व् | हिंदी विचार

"White ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार, मनोरंजन के नाम पर खुल गया , फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार, किस्म-किस्म के किरदार है, कोई सुनाता दुःखड़े अपने , कोई हँसता झूठी मुस्कान, कोई बना ज्ञान का सागर, कोई करता भोग-विलास, फैशन के नाम पर कम होते कपड़े, क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार, फूहड़ गाने, अश्लील डांस, क्या लगता नहीं मुजरा बाजार, दुःख और पीड़ा इस बात की भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार, बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम, ये मेरे अपने विचार है, जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे , क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां , फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी, सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का, क्या बन पाएंगे विश्व गुरु या वो भी.....| ©Sonam kuril"

 White  ये रील्स वालों की दुनियां,
एक रंगमंच, एक व्यापार,
वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार,
ना मर्यादा, ना संस्कार,
मनोरंजन के नाम पर खुल गया ,
फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार,
किस्म-किस्म के किरदार है,
कोई सुनाता दुःखड़े अपने ,
कोई हँसता झूठी मुस्कान,
कोई बना ज्ञान का सागर,
कोई करता भोग-विलास,
फैशन के नाम पर कम होते कपड़े,
क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार,
फूहड़ गाने, अश्लील डांस,
क्या लगता नहीं मुजरा बाजार,
दुःख और पीड़ा इस बात की 
भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार,
बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम,
ये मेरे अपने विचार है,
जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे ,
क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां ,
फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी,
सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का,
क्या बन पाएंगे विश्व गुरु  या वो भी.....|

©Sonam kuril

White ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार, मनोरंजन के नाम पर खुल गया , फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार, किस्म-किस्म के किरदार है, कोई सुनाता दुःखड़े अपने , कोई हँसता झूठी मुस्कान, कोई बना ज्ञान का सागर, कोई करता भोग-विलास, फैशन के नाम पर कम होते कपड़े, क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार, फूहड़ गाने, अश्लील डांस, क्या लगता नहीं मुजरा बाजार, दुःख और पीड़ा इस बात की भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार, बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम, ये मेरे अपने विचार है, जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे , क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां , फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी, सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का, क्या बन पाएंगे विश्व गुरु या वो भी.....| ©Sonam kuril

#Sad_Status #reelskiduniya
ये रील्स वालों की दुनियां,
एक रंगमंच, एक व्यापार,
वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार,
ना मर्यादा, ना संस्कार,
मनोरंजन के नाम पर खुल गया ,
फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार,
किस्म-किस्म के किरदार है,

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