Unsplash जय माँ शारदा विधा-सरसी छंद १६/११ पदान्त

"Unsplash जय माँ शारदा विधा-सरसी छंद १६/११ पदान्त २१ भगवत गीता में मिलता है,सब ग्रंथों का सार। मानव जीवन की खातिर है,जीवन का आधार। जो गीता प्रतिदिन पढ़ते हैं, कभी न खाते खार। गीता ज्ञान बिन नहीं होगा, मानव का उद्धार।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari"

 Unsplash जय माँ शारदा 
विधा-सरसी छंद १६/११ पदान्त २१

भगवत गीता में मिलता है,सब ग्रंथों का सार।
मानव जीवन की खातिर है,जीवन का आधार।
जो गीता प्रतिदिन पढ़ते हैं, कभी न खाते खार।
गीता ज्ञान बिन नहीं होगा, मानव का उद्धार।।

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

Unsplash जय माँ शारदा विधा-सरसी छंद १६/११ पदान्त २१ भगवत गीता में मिलता है,सब ग्रंथों का सार। मानव जीवन की खातिर है,जीवन का आधार। जो गीता प्रतिदिन पढ़ते हैं, कभी न खाते खार। गीता ज्ञान बिन नहीं होगा, मानव का उद्धार।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

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