Unsplash जब तक दुनिया में
कविताएँ लिखी जा रहीं हैं
तब तक उम्मीद जिंदा है
उम्मीद है कि कहीं कोई प्रेमी
अब भी गुलाब और जंगली फूलों में
भेद भाव नहीं कर रहा
उम्मीद है कि अब भी कोई चाँद को देखकर
किसी का चेहरा याद कर रहा है
उम्मीद है की अब भी कलम की स्याही
पूरी तरह से नहीं सूखी
उम्मीद है कि अब भी मजदूरों को
जमीन पर नही बल्कि कुर्सी पर
बैठने की लड़ाई जारी है
उम्मीद है कि अब भी
नाकामयाब मोहब्बतें कविताओं में
मुकम्मल हो रहीं हैं
कविताएं जो चुप रह कर भी गूँजती हैं
उम्मीद के समुंदर को सूखने से रोकती हैं
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©सम्राट दीप
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