कमियां मेरी, मेरी पहचान बन गई,
हर ठोकर से मेरी राह जान बन गई।
हर मोड़ पर मिला एक नया इम्तिहान,
उन्हीं सबकों से मेरी उड़ान बन गई।।
अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान,
भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान।
जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ,
अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।।
©नवनीत ठाकुर
अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान,
भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान।
जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ,
अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।