White मै हर रात ख़ुद को बिधुनते हुए इसी फिराक मे ख | हिंदी Poetry

"White मै हर रात ख़ुद को बिधुनते हुए इसी फिराक मे ख्वाब मे तैरते रहती हूँ की उन प्राचीन सभ्यतों मे जैसे रेत को लिखने के लिए पचास शब्द थे काश आज की रात प्रेम पर लिखने के लिए मेरे पास अनंत के कामना से परिपूर्ण महासंख् शब्द होते मै ख्वाब मे इतना लात हाँथ मरते हुए भी नही उबर पाती तो ये सोच के खुद   को डूबा देती हूँ की स्मृति के लिए भी तो कोई शब्द नही  अंततः रात लबालब उफनता है और उगल देता है अपने आखिरी प्रहर मे सूर्य मुझे फ़िर से छान लेता है एक नये ऊर्जा से ग्रस्त रात के लिए....!! ©चाँदनी"

 White मै हर रात ख़ुद को बिधुनते हुए
इसी फिराक मे ख्वाब मे तैरते रहती हूँ की

उन प्राचीन सभ्यतों मे जैसे
रेत को लिखने के लिए पचास शब्द थे

काश आज की रात प्रेम पर लिखने के लिए
मेरे पास अनंत के कामना से परिपूर्ण
महासंख् शब्द होते

मै ख्वाब मे इतना लात हाँथ मरते हुए
भी नही उबर पाती तो ये सोच के खुद  
को डूबा देती हूँ की स्मृति के लिए
भी तो कोई शब्द नही 

अंततः रात लबालब उफनता है और
उगल देता है अपने आखिरी प्रहर मे

सूर्य मुझे फ़िर से छान लेता है एक नये
ऊर्जा से ग्रस्त रात के लिए....!!

©चाँदनी

White मै हर रात ख़ुद को बिधुनते हुए इसी फिराक मे ख्वाब मे तैरते रहती हूँ की उन प्राचीन सभ्यतों मे जैसे रेत को लिखने के लिए पचास शब्द थे काश आज की रात प्रेम पर लिखने के लिए मेरे पास अनंत के कामना से परिपूर्ण महासंख् शब्द होते मै ख्वाब मे इतना लात हाँथ मरते हुए भी नही उबर पाती तो ये सोच के खुद   को डूबा देती हूँ की स्मृति के लिए भी तो कोई शब्द नही  अंततः रात लबालब उफनता है और उगल देता है अपने आखिरी प्रहर मे सूर्य मुझे फ़िर से छान लेता है एक नये ऊर्जा से ग्रस्त रात के लिए....!! ©चाँदनी

#sad_shayari

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