खुली किताब रही है जिंदगी मेरी, जिसने जैसे चाहा वैस | हिंदी Shayari

"खुली किताब रही है जिंदगी मेरी, जिसने जैसे चाहा वैसे पढ़ा, बस पढ़ न पाए वो अल्फाज मेरे दिल के। ©Ruchika"

 खुली किताब रही है जिंदगी मेरी,
जिसने जैसे चाहा वैसे पढ़ा,
बस पढ़ न पाए वो अल्फाज मेरे दिल के।

©Ruchika

खुली किताब रही है जिंदगी मेरी, जिसने जैसे चाहा वैसे पढ़ा, बस पढ़ न पाए वो अल्फाज मेरे दिल के। ©Ruchika

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