मुझमें है जुनून गरमी की कड़कती धूप में भी नंगे पा | हिंदी शायरी Video

"मुझमें है जुनून गरमी की कड़कती धूप में भी नंगे पाव चले है, हमे क्या बेघर करोगे, हम बाहर ही पले है। दिखाके सपने जो तोड़ते है, उससे ए कहना है, हम ठोकर खाकर भी ऊपर ही देखते है। ©Ankit "Urja" "

मुझमें है जुनून गरमी की कड़कती धूप में भी नंगे पाव चले है, हमे क्या बेघर करोगे, हम बाहर ही पले है। दिखाके सपने जो तोड़ते है, उससे ए कहना है, हम ठोकर खाकर भी ऊपर ही देखते है। ©Ankit "Urja"

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