कभी-कभी "ताला"
तिरिया के कई अरमानो पर कठिनी ताला,
पंख पसार उङ जाने की उनमें धधकती अंतर्ज्वाला,
तिरिया अरमानो की बुनती जपमाला ,
कैद पंछी गाए जैसे अपनी रागमाला ।।
जब भी अरमानो को कदम बढाए रिश्ते देते तानों की माला ,
अरमानो के बिखरते कतरे जैसे टूटी माला,
रिश्तों ने उसे धकेला अंधकाला
फिर भी उजास देती जैसे अंशुमाला।
कवयित्री प्रेमलता सोलंकी "प्रेम"
©Prem Lata Solanki