मुझको हर कोई अपना सा लगता गया कातिलों की बस्ती मे | हिंदी कविता

"मुझको हर कोई अपना सा लगता गया कातिलों की बस्ती में मैं अपना आशियाना सझता रहा आँख खुली तो देखा मैंने हर कोई मेरी मौत का तमाशा करता रहा साकिर हुसैनी ✍️ ©Sakir Husaini"

 मुझको हर कोई अपना सा लगता गया
 कातिलों की बस्ती में मैं अपना आशियाना सझता रहा 
आँख खुली तो देखा मैंने हर कोई मेरी मौत का  तमाशा करता रहा 
साकिर हुसैनी ✍️

©Sakir Husaini

मुझको हर कोई अपना सा लगता गया कातिलों की बस्ती में मैं अपना आशियाना सझता रहा आँख खुली तो देखा मैंने हर कोई मेरी मौत का तमाशा करता रहा साकिर हुसैनी ✍️ ©Sakir Husaini

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