मुड़ कर देखा भी नहीं
मेरी खामोश निगाहों में
एक कसक सी छलकी थी
मुड़ना था आसान नहीं
उसकी आंखें भी शायद
अश्कों से भर चमकी थी
बिना पढ़े निगाहों को
उसकी समझ गए थे हम
खुशी थी वापसी की
उसे अपनी दुनियां में
या बिछड़ने का गम है
©alka mishra
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