आजा़द हिन्द का सपना लेकर निकल पड़ा बेबाक़ था। नहीं
"आजा़द हिन्द का सपना लेकर निकल पड़ा बेबाक़ था।
नहीं बुने थे मोह के धागे हर भय से आजाद था।।
कोड़े खाकर भी झुका वीर ना जो दुश्मन के कदमों में।
वंदे मातरम् गाने वाला चंद्रशेखर आजा़द था।।
पलक यादव 'प्रेरणा'"
आजा़द हिन्द का सपना लेकर निकल पड़ा बेबाक़ था।
नहीं बुने थे मोह के धागे हर भय से आजाद था।।
कोड़े खाकर भी झुका वीर ना जो दुश्मन के कदमों में।
वंदे मातरम् गाने वाला चंद्रशेखर आजा़द था।।
पलक यादव 'प्रेरणा'