Unsplash "अबके मौसम ने फिर उम्मीद से धोखा दिया, ख़ | हिंदी शायरी

"Unsplash "अबके मौसम ने फिर उम्मीद से धोखा दिया, ख़्वाब टूटे तो कई शाख से बीमार गिरे।" "वो जो साए थे कभी छाँव की मानिंद यहाँ, वक़्त आया तो वही दोस्त कई बार गिरे।" "इश्क़ की राहों में सिखलाए न हमको सब्र, जब संभलना था हमें, टूट के अशआर गिरे।" "ख़ुद को देखा तो समझ आया हमें ये 'नवनीत', पत्थरों से जो बचा था, वो मेरे यार गिरे।" ©नवनीत ठाकुर"

 Unsplash "अबके मौसम ने फिर उम्मीद से धोखा दिया,
ख़्वाब टूटे तो कई शाख से बीमार गिरे।"

"वो जो साए थे कभी छाँव की मानिंद यहाँ,
वक़्त आया तो वही दोस्त कई बार गिरे।"

"इश्क़ की राहों में सिखलाए न हमको सब्र,
जब संभलना था हमें, टूट के अशआर गिरे।"

"ख़ुद को देखा तो समझ आया हमें ये 'नवनीत',
पत्थरों से जो बचा था, वो मेरे यार गिरे।"

©नवनीत ठाकुर

Unsplash "अबके मौसम ने फिर उम्मीद से धोखा दिया, ख़्वाब टूटे तो कई शाख से बीमार गिरे।" "वो जो साए थे कभी छाँव की मानिंद यहाँ, वक़्त आया तो वही दोस्त कई बार गिरे।" "इश्क़ की राहों में सिखलाए न हमको सब्र, जब संभलना था हमें, टूट के अशआर गिरे।" "ख़ुद को देखा तो समझ आया हमें ये 'नवनीत', पत्थरों से जो बचा था, वो मेरे यार गिरे।" ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर
"अबके मौसम ने फिर उम्मीद से धोखा दिया,
ख़्वाब टूटे तो कई शाख से बीमार गिरे।"
"वो जो साए थे कभी छाँव की मानिंद यहाँ,
वक़्त आया तो वही दोस्त कई बार गिरे।"

"इश्क़ की राहों में सिखलाए न हमको सब्र,
जब संभलना था हमें, टूट के अशआर गिरे।"

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