आज जिस पल का इंतिज़ार है, कल उस लम्हे की याद होगी।
आज तो फिर ज़ाएक़े का चस्का है, कल फिर ज़बाँ बेस्वाद होगी।।
यह जो समय का चक्र तेजी से चलता जा रहा है।
ख़ुद घूम रहा है, और दूसरों को घूमा रहा है।।
इस गुज़र रहे दौर से ,कल दोबारा गुज़रने की आस होगी,
आज जिस पल का इंतिजार है, कल उस लम्हे की याद होगी।।
आज ज़ेहन में अफ़सानों का जो आना जाना है, कल इनका चर्चा किस्से कहानियों में होगा।
आज जो मामूली है ,कल इनका संवाद टिप्पणियों में होगा।।
हिम्मत फिर से एक बार फौलाद होगी,
आज जिस पल का इंतिज़ार है,कल उस लम्हे की याद होगी।।
इस मुश्किल रास्ते में ,आज ख़ुद को आज़माएंगे।
नंगे पाँव ही हम,मंज़िल पर पहुँच जाएंगे।।
अब तो मुक़ाम पर पहुँच कर ही,ज़िन्दगी आबाद होगी,
पर साहब!आज जिस पल का इंतिज़ार है,कल उस लम्हे की याद होगी।।
सिर्फ़ और सिर्फ़ याद होगी।।
©निर्मोही साहिल
#कल_सिर्फ़_याद_रह_जाएगी।।
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