सारे घर को जो सजाती है आज कुछ उसे सजाते हैं
थोड़ा नजरिया बदलते हैं चलो ना मां को Mom बनाते हैं
रसोई की चार दीवारों से उसे पार्लर की सीढ़ी चढ़वाते हैं
इसकी बेरंग सी साड़ी में फैशन का रंग भर देते हैं
उसने जिंदगी दी है उसे जीना सिखाते हैं
थोड़ा नजरिया बदलते हैं मां को Mom बनाते हैं
उसके बंधे हुए बालों को थोड़ा खोल के देखते हैं
उसके बेलन वाले हाथों में सपनों की किताब पकड़ाते हैं
चलना उसने सिखाया है उडना हम सिखाते हैं
थोड़ा नजरिया बदलते हैं चलो ना मां को Mom बनाते हैं
©Sugyani
#नजरिया