"विराट" पर्वत को लहरो से हिलाया नहीं जाता है
अगर हो अंधेरा तो तब तक "दीप" जलाया जाता है
कितना भी हो घना अंधेरा बनाकर उजाला "सूर्या" आता है
और राह भटके हुए की दिशा "बुमराह" बन जाता है
और जब होने लगे कभी अंत तो "पंत" खड़ा होता है
और राजा के तख्त को बचाने को कोई "जडेजा" अड़ा होता है
और विरोधियों के वहम को तोड़ने कोई "शिवम" हो जाता है
और विरोधियों के उथल पुथल को रोकने कोई "चहल" खड़ा हो जाता है
और हो कोई भूल हमसे तो पीछे "संजू" खड़ा होता है
और पथ मुश्किल हो तो विजय और "हार्दिक" हो जाता हैं
और असंभव हो जीत तो योद्धा "रोहित" हो जाता है
और जीत के यश को बढ़ाने कोई "यशस्वी" हो जाता है
और सभी विरोधियों पर राज करने कोई "सिराज" हो जाता है
और "अक्षर" से सुवर्ण अक्षरों में
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
गीत फिर से अमर हो जाता है
-कृष्णामरेश
©Amresh Krishna
#विश्वविजेता