सूरज सुलग रहा है पर्यावरण बिगड़ रहा है,
प्रकृति की करुणा, हमारी दिशा बदल रहा है।
जल, वायु, और वन्यजीवन, सबको मिले सम्मान,
इस बदलते परिप्रेक्ष्य में, हमें करना है ध्यान।
हरित क्रांति की आवाज, हर ओर बज रही है,
हमारी जिम्मेदारी, हमें अब संभालनी है।
प्रकृति की रक्षा, हमारा धर्म है ये,
संतुलन को बनाए रखना, हमें सीखना है ये।
सूरज सुलग रहा है, हमें उसके साथ चलना है,
प्रकृति के साथ, हमें आत्मरक्षा का संकल्प लेना है।
©Balwant Mehta
#sunrays