White अजीब पहेली है ज़िन्दगी, मगर मेरी सहेली है ज़िन | हिंदी कविता

"White अजीब पहेली है ज़िन्दगी, मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी। कुछ हसरतों को पाने की ख्वाहिश, होती है बस मन की समझाइश। अपने ही सवालो की है उलझन, जिसे मिले न कोई सुलझन। अजीब पहली है ज़िन्दगी, मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी। एक दूसरे से जीतने की होड़, हर राह में हैं अनगिनत मोड़, चारों ओर मायाजाल बनाया, जिसे कोई समझ ना पाया। अजीब पहली है ज़िन्दगी, मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी। इस सफ़र में हम सब हैं मुसाफिर, चलते रहना ज़िन्दगी की ख़ातिर, स्वयं पर करके अपार विश्वास, अपनी मंज़िल पाने का करो प्रयास। अजीब पहली है ज़िन्दगी, मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी। "निशा" ©Nisha Malik"

 White अजीब पहेली है ज़िन्दगी,
मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी।

कुछ हसरतों को पाने की ख्वाहिश,
होती है बस मन की समझाइश।
अपने ही सवालो की है उलझन,
जिसे मिले न कोई सुलझन।

अजीब पहली है ज़िन्दगी,
मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी।

एक दूसरे से जीतने की होड़, 
हर राह में हैं अनगिनत मोड़, 
चारों ओर मायाजाल बनाया,
जिसे कोई समझ ना पाया। 

अजीब पहली है ज़िन्दगी,
मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी।

इस सफ़र में हम सब हैं मुसाफिर,
चलते रहना ज़िन्दगी की ख़ातिर,
स्वयं पर करके अपार विश्वास,
अपनी मंज़िल पाने का करो प्रयास।

अजीब पहली है ज़िन्दगी,
मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी।


                          "निशा"

©Nisha Malik

White अजीब पहेली है ज़िन्दगी, मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी। कुछ हसरतों को पाने की ख्वाहिश, होती है बस मन की समझाइश। अपने ही सवालो की है उलझन, जिसे मिले न कोई सुलझन। अजीब पहली है ज़िन्दगी, मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी। एक दूसरे से जीतने की होड़, हर राह में हैं अनगिनत मोड़, चारों ओर मायाजाल बनाया, जिसे कोई समझ ना पाया। अजीब पहली है ज़िन्दगी, मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी। इस सफ़र में हम सब हैं मुसाफिर, चलते रहना ज़िन्दगी की ख़ातिर, स्वयं पर करके अपार विश्वास, अपनी मंज़िल पाने का करो प्रयास। अजीब पहली है ज़िन्दगी, मगर मेरी सहेली है ज़िन्दगी। "निशा" ©Nisha Malik

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